A famous author couple of three successful romantic novels comes to a secluded island for vacation and to work on their next novel. What they don’t know is that the story of their lives is about to take a horror turn.
Narrative structure of the play is designed basing on these two ideas:
यथा ऊर्णनाभिः स्वोत्पन्न सूत्रेषु प्रचलति तदवत वयमपि स्वजीवनं निममिः।
तथैव जीवामः वयं स्वप्नद्रष्टाः इव स्मः।
यः यथा स्वप्नं पश्यति सः तस्मिन्नेव स्वप्ने जीवति इयं रीतिः समग्रस्य ब्रह्मांडस्य वर्तते।
इदमेव जीवनस्य परम सत्यं।
“जैसे एक मकड़ी स्वयं के द्वारा उत्पन्न किये धागे पर चलती है, उसी प्रकार हम भी अपना जीवन बुनते हैं और उसको जीते हैं। हम स्वप्नद्रष्टा की तरह हैं जो स्वप्न देखता है और फिर उसी स्वप्न में जीता है। यही पुरे ब्रह्मांड के लिए सच है।”
(बृहदारण्यक उपनिषद् से प्रेरित)
एका तुल्पा एकविचाररूपा अस्ति।
अस्माकम् कल्पनाया: मानवीयरूपे हेतोरभिव्यक्तिः।
एकदा यदा तुल्पा एकवास्तविकप्राणिनः भूमिकाम् स्पष्टयितुं सक्षमो भवति, तदा सः प्राणी तुल्पारूपेण आत्मानं सम्पादयति, तदा तस्य जीवनं शक्ति सम्पन्नों भवति।
सः निर्माणकर्तृभ्यः, नियंत्रणकर्तृभ्यः, आत्मानं पृथक्करोति तथा च सः प्राणी
अर्धचेतनावस्थायां काष्ठनर्तकीव संसारे भ्रमति।
“एक तुल्पा एक विचार-रूप है: हमारी कल्पना के मानवीय रूप में इरादे की अभिव्यक्ति। एक बार जब तुल्पा एक वास्तविक प्राणी की भूमिका निभाने में सक्षम होने के लिए पर्याप्त जीवन शक्ति से संपन्न हो जाता है, तो वह अपने निर्माताओं के नियंत्रण से स्वयं को मुक्त कर लेता है, और अर्ध-सचेत, खतरनाक रूप से शरारती कठपुतली के रूप में भटकता रहता है।”
(तिब्बती जादूगरों की लोक-कथा से प्रेरित)
THEATRE IS A LIVE PERFORMANCE ARTFORM, AND UNLIKE MOVIES, DURING THE PLAY PERFORMERS CAN GET AFFECTED BY UNWANTED DISTURBANCE. DEAR AUDIENCE MEMBERS ARE KINDLY EXPECTED TO MAINTAIN THE DECORUM DURING THE SHOW AND ENJOY THE PLAY.
Cast
Rajendra Chawda
Stage Manager/Associate Director
Light Design
Pratik Mittal, Gaurav Dabhade
Costume Making Team